Bhai Dooj 2018 : भाई दूज भाई बहनों का त्योहार है, इसे दिवाली के दो दिन के बाद मनाया जाता है। By One7 यह पर्व भाई-बहनों के बीच प्रेम और स्नेह भाव को बढ़ाता है। जिस तरह भाई-बहनों के त्योहार रक्षा बंधन का विशेष महत्व है उसी प्रकार भाई दूज का भी अपना विशेष महत्व है। इस दिन बहनें भाई की लंबी आयु और उनके स्वास्थ्य की मंगल कामना का व्रत रखती हैं। इस पर्व को भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। By one7
क्या है भाई दूज की कथा-
पारंपरिक कथाओं के अनुसार, भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से ही यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। बहन यमुना और भाई यमराज के बीच बड़ा स्नेह था। विवाह के बाद भी यमुना ने यमराज उतना ही स्नेह रखा जितना वह पहले रखती थीं। वे बार-बार उनसे अपने घर आने का निवेदन करती थी लेकिन यमराज बार-बार व्यस्त कहकर इसे टाल जाते थे एक दिन कार्तिक शुक्ल का समय था। यमुना ने इस दिन भी उसे अपने घर पर भोजन के लिए निमंत्रण दिया और इस बार उन्हें अपना कहा मानने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
पारंपरिक कथाओं के अनुसार, भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से ही यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। बहन यमुना और भाई यमराज के बीच बड़ा स्नेह था। विवाह के बाद भी यमुना ने यमराज उतना ही स्नेह रखा जितना वह पहले रखती थीं। वे बार-बार उनसे अपने घर आने का निवेदन करती थी लेकिन यमराज बार-बार व्यस्त कहकर इसे टाल जाते थे एक दिन कार्तिक शुक्ल का समय था। यमुना ने इस दिन भी उसे अपने घर पर भोजन के लिए निमंत्रण दिया और इस बार उन्हें अपना कहा मानने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
यमराज ने सोचा मैं लोगों के प्राण हरने वाला हूं, कोई मुझे अपने घर नहीं बुलाना चाहता लेकिन बहन जिस श्रद्धा से मुझे बार-बार बुला रही हैं मुझे जरूर जाना चाहिए। बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक निवास करने वालों प्राणियों को मुक्त कर दिया। जब वे बहन के घर पहुंचे तो यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यहां बहन ने स्नान-ध्यान करके भाई के लिए तरह-तरह के पकवान और व्यंजन बनाकर और परोस कर खिलाया। इस आतिथ्य से खुश होकर यमराज ने यमुना से वर मांगने को कहा।
इस पर यमुना ने मांगा कि हर साल वो उनके घर आय़ा करें। इस दौरान हर बहन अपने भाई का सत्कार करे और दोनों में स्नेह बना रहे। यमराज ने उन्हें आशीर्वाद दिया और चले गए। यही कारण है कि इस दिन यमुना और यमराज दोनों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो अतिथियों का सत्कार करते हैं उन्हें यम का भय नहीं रहता।
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